महाबोधि महाविहार का संचालन बौद्ध समुदाय को सौंपने की मांग

सम्राट अशोक सोशल वेलफेयर सोसाइटी के तरफ से मंगलवार को बौद्ध भिक्षु संघ के संरक्षक डॉक्टर भिक्षु नन्दरतन

नेतृत्व में बौद्ध समुदाय ने अपर जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

खुर्शीद आलम सिद्धिकी,पडरौना/कुशीनगर। सम्राट अशोक सोशल वेलफेयर सोसाइटी के तरफ से मंगलवार को बौद्ध भिक्षु संघ के नेतृत्व में बौद्ध समुदाय ने महाबोधि महाविहार, बोधगया का संचालन बौद्ध समुदाय को सौंपने की मांग को लेकर कुशीनगर में जिला मुख्यालय पर पैदल मार्च कर अपने विभिन्न मांगो का पत्र जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम भारत के राष्ट्रपति महोदया और बिहार के राज्यपाल के नाम से अपर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा।

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मंगलवार को सम्राट अशोक सोशल वेलफेयर सोसाइटी के बैनर तले बौद्ध भिक्षु संघ के संरक्षक के डॉक्टर भिक्षु नन्दरतन के अगुवाई में सैकड़ो की संख्या में बौद्ध भिक्षु और बौद्ध धर्म से जुड़े अनुवाई जिला मुख्यालय स्थित विकास भवन के सामने एकत्रित हुए। इसके बाद हाथों में सम्राट अशोक की तख्ती के साथ बुद्ध की प्रतिमा वाली शक्ति व स्लोगन को लेकर प्रदर्शन करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे। यहां जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज के गैर मौजूदगी में अपर जिला अधिकारी को ज्ञापन सौंपा ।

सम्राट अशोक सोशल वेलफेयर सोसाइटी व बौद्ध भिक्षु संघ के संरक्षक के डॉक्टर भिक्षु नन्दरतन ने बोधगया और महाबोधि महाविहार के प्रबंधन पर चिंता जताई गई। कहा महाबोधि महाविहार वह स्थान है,जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था। यह स्थान करोड़ों बौद्ध अनुयायियों के लिए श्रद्धा का केंद्र है। आगे कहा की बोधगया में स्थित इस मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व अत्यधिक है। 1949 के महाबोधि मंदिर अधिनियम के तहत इस मंदिर का संचालन 9 सदस्यीय एक समिति द्वारा किया जाता है, जिसमें 4 हिन्दू, 4 बौद्ध और गया जिले के कलेक्टर शामिल होते हैं। बौद्ध समुदाय का आरोप है कि समिति में बौद्धों की संख्या बहुत कम है, जिससे बौद्ध संस्कृति और परंपराओं के खिलाफ गतिविधियाँ बढ़ रही हैं। उनका यह भी कहना है कि बौद्ध धर्म विरोधी गतिविधियां भी बढ़ गई हैं और दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

बौद्ध समुदाय ने यह तर्क दिया है कि भारत के अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों का संचालन उनके अनुयायी करते हैं, जैसे कि हिन्दू मंदिरों का संचालन हिन्दू, मस्जिदों का संचालन मुसलमान, गुरुद्वारों का संचालन सिख और चर्चों का संचालन ईसाई करते हैं। उन्होंने अपने तरफ से सौपे गए ज्ञापन में महाबोधि मंदिर अधिनियम 1949 को रद्द कर महाबोधि महाविहार का संचालन पूरी तरह से बौद्ध समुदाय को सौंपने की मांग की है।

उनका कहना था कि बौद्ध धर्म का यह महत्वपूर्ण स्थल बौद्ध अनुयायियों के नियंत्रण में होना चाहिए,ताकि यहां की धार्मिक परंपराओं और संस्कृति का सही तरीके से पालन किया जा सके। इसके बाद अपनी मांगों का ज्ञापन जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज की गैर मौजूदगी में अपर जिलाधिकारी को सौंपा ।

इस दौरान बृजेश कुशवाहा,डॉ राघवेंद्र सिंह पटेल,श्याम बदन कुशवाहा,भिक्षु विनय,भंते संदीप भंते,दीक्षानंद भंते,धर्मवीर,भिक्षु सूर्या,डॉ करुणा भंते,स्वरू प्रसाद बौद्ध,रमाशंकर बौद्ध,कन्हैया कुशवाहा,कन्हैया मौर्य,सुभाष कुशवाहा,सोहन गुप्ता,कुंडल बाबा,उदय नारायण कुशवाहा, रामचंद्र कुशवाहा,अशोक कुमार, प्रेम कुशवाहा,लक्ष्मी चंद्र वर्मा, प्रभु कुशवाहा,बीके कुशवाहा,राम उग्रह कुशवाहा, विजेंद्र कुमार विश्वकर्मा,लाल बिहारी,जितेंद्र कुशवाहा,विजय गौतम,गुड्डी शर्मा,संगीता कुशवाहा,अधिवक्ता कुमारी अंजली आदि लोग मौजूद रहे।

मंदिर अधिनियम के तहत बुद्ध मंदिर के संचालन को बौद्ध समुदाय मिले -केदारनाथ कुशवाहा

पडरौना /कुशीनगर । कुशवाहा शाक्य सैनी मौर्य महाभारत इकाई से जुड़े नवनियुक्त जिला अध्यक्ष केदारनाथ कुशवाहा ने भी महाबोधि मंदिर अधिनियम के तहत उक्त बुद्ध मंदिर के संचालन को बौद्ध समुदाय के हित में बौद्ध धर्म से लोगो को सौंपने की मांग की। इसमें महासभा से प्रदेश अध्यक्ष परशुराम कुशवाहा,जिला महासचिव पारसनाथ,कुशवाहा, प्रमुख महासचिव अमित कुशवाहा,ब्लाक महासचिव मुरारी कुशवाहा,श्यामबदन कुशवाहा,उदयभान कुशवाहा, अवधेश कुशवाहा आदि लोग मौजूद रहे।

अपनी जनता पार्टी ने भी प्रदर्शनकारियों कियी समर्थन 

पडरौना,कुशीनगर। अपनी जनता पार्टी के तरफ से भी प्रदर्शनकारियों समर्थन में शामिल रहे महाबोधि महाविहार के खिलाफ चल जा अभियान में अपनी जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष रामेश्वर कुशवाहा के नेतृत्व में कार्यकर्ता उन्हें हुंकार भरी। कहा की यहा वैदिक ब्राह्मणों द्वारा “ब्राह्मणीकृत” किया जा रहा है, जिसे वे भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का अपमान मानते हैं।

बौद्ध धर्म को सही अपने के लिए बवासियों के सही प्रदर्शनकारियों को ब्राह्मणवादी तत्वों और बिहार राज्य अधिकारियों पर लगातार उत्पीड़न कर रहा है । जिसे यहां धरना और भूख हड़ताल कर रहे हैं भिक्षुओं को डराया जा रहा है, उनकी शांतिपूर्ण सभा को बाधित करने के लिए जानबूझकर तेज आवाजें निकाली जा रही हैं और सरकारी अधिकारियों ने बातचीत में शामिल होने से इनकार कर दिया है।

इस दौरान अपनी जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष रामेश्वर कुशवाहा,जनार्दन कुशवाहा,महेंद्र कुशवाहा, वीरेंद्र कुशवाहा,अनिल कुशवाहा आदि लोग मौजूद रहे।

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हर-हर महादेव के जयघोष से गूंजे शिवालय

ब्रह्ममुहूर्त से ही श्रद्धालुओं ने शुरू कर दिया जलाभिषेक,लगी रही भीड़

शिव मंदिरों के बाहर लगा रहा मेला

खुर्शीद आलम सिद्दीकी,पडरौना /कुशीनगर। महाशिवरात्रि के अवसर बुधवार को शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। आस्था की लगी भीड़ में सुरक्षा में तैनात पुलिस वाले के भी पसीने छूट गए। मंदिरों के गर्भगृह से लेकर बाहर सड़क तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। प्रमुख मंदिरों में भीड़ अधिक रही। श्रद्धालुओं ने भांग, धतूर, बेल पत्र, पुष्प, बेर, दूध और जल से भरे कलश से भगवान शिव का जलाभिषेक कर परिवार की सुख-समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना की।

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पडरौना नगर के शिवाला मंदिर, बुढ़िया माई मंदिर, लखरांव मंदिर, अंबे मंदिर, खिरकिया मंदिर स्थित शिवालयों सहित छावनी के महादेव मंदिर एवं भन्नुनाथ मंदिर, लमुहा शिवमंदिर, करहिया शिवमंदिर, रामपुर मटिहनिया स्थित प्राचीन शिवमंदिर सहित सभी शिवालयों में पूजा-अर्चना और जलाभिषेक के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।

श्रद्धालुओं ने शिवालयों में जलाभिषेक कर जयकारे लगाए। महाशिवरात्रि के अवसर पर इन मंदिरों के परिसर में मेला लगा रहा। सिद्घनाथ सिधुआ बाबा मंदिर में भी जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ दिन भर लगी रही।

इस दौरान सिधुआ स्थान मदिर के मंहत योगेश्वर नाथ त्रिपाठी,शैलेश मिश्रा,सुरेश दास साधु बाबा, अजीत कुमार आशीष त्रिपाठी सहित सरदारों की सुरक्षा व्यवस्था में चौकी प्रभारी आकाश सिंह अन्य लोग मौजूद थे।

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मनोकामना पूर्ण करने वाले स्वयंभू बाबा पथलेश्वरनाथ की महिमा और बाबा से जुड़े चमत्कार का वर्णन

ओमप्रकाश कुमार भास्कर,छितौनी/कुशीनगर। कुशीनगर जिले के खड्डा तहसील क्षेत्र मां नारायणी के और पनियहवा रेलवे स्टेशन से मात्र 500 मिटर दक्षिण नगर पंचायत छितौनी में स्थित श्री पथलेश्वरनाथ जी का प्राचीन मंदिर है जहां पर दूर दराज नेपाल,बिहार,उत्तर प्रदेश गोरखपुर मण्डल बस्ती मण्डल से लोग सदैव दर्शन एवं पुजन तथा जलाभिषेक करने आते हैं। श्री पथलेश्वरनाथ जी एक चमत्कारी एवं सबकी मनोकामना पूर्ण करने वाले स्वयंभू शिवलिंग है।

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सैकड़ों वर्ष पूर्व में यह क्षेत्र जंगल हुआ करता था और चरवाहे गाय भैंस आदि लेकर आते थे और जहां आज विशाल मंदिर है एक छोटा सा लगभग 1 किलो का था जो आज लगभग 80 किलो हो गया है। पत्थर रहता था लेकिन उस वक्त चरवाहे पत्थर को लेकर जंगल में चले जाते थे और मूंज की रस्सी बनाने के लिए पत्थर पर थूरते थे और पत्थर को जंगल में फेंक कर चले जाते थे दूसरे दिन जब आते थे तो बाबा पथलेश्वरनाथ जी अपने इसी जगह पर मिलते थे जहां मंदिर बना हुआ है।

एक बार बाबा पथलेश्वरनाथ जी क्षेत्र वासियों को स्वप्न दिया कि चरवाहे हमें बहुत कष्ट दे रहे हैं हम पुरे क्षेत्र को कष्ट दूंगा तब क्षेत्र वासियों ने एक चबूतरा बना कर पुजा पाठ जलाभिषेक करने लगे उसी समय पुज्य नागाओं की जमात आई जिसमें पुज्य स्वामी शंकरानन्द गिरि जी महाराज नागा बाबा पथलेश्वरनाथ के महंत हुए और रुद्र महायज्ञ का आयोजन हुआ और लगातार 11 रूद्र महायज्ञ हुआ और मंदिर का निर्माण करने का निर्णय लिया गया।

इस क्षेत्र में 1971 में पहली घटना हुई जो मां नारायणी के कटान से नौतार जंगल बाढ़ से बंधा टूट गया जिससे क्षेत्र में चारों तरफ जल ही जल हो गया कई गांवों में में पानी भर गया था लेकिन बाबा पथलेश्वरनाथ मंदिर का बगीचा सुरक्षित रहा और एक बूंद पानी नहीं चढ़ा।

दूसरा चमत्कार तब हुआ जब पनियहवा मां नारायणी पर पुल निर्माण कार्य चल रहा था. तब दिन भर मजदूर पुल का पाया लगाया जाता था और रात में पाया गायब हो जाता था तब किसी ने CCL कंपनी के इंजीनियर से कहा कि यहां पर बाबा पथलेश्वरनाथ जी का और नागा बाबा का दर्शन करिए तब CCL कंपनी के इंजीनियर और मालिक आए और बाबा पथलेश्वरनाथ जी तथा नागा बाबा स्वर्गीय शंकरानन्द गिरि जी से आग्रह किया उस समय पुज्य महाराज जी ने रामचरित मानस का एक चौपाई सुनाया कि जब भगवान राम लंका चढ़ाई करने से पहले भगवान शिव जी की पुजा किया था यह बात कंपनी के इंजीनियर और मालिक को जंच गई और श्री पथलेश्वरनाथ मंदिर का निर्माण किया उसके बाद पुल का निर्माण कार्य शुरू किया गया जो आज बिहार उत्तर प्रदेश को जोड़ने में सहायता मिली।

बाबा पथलेश्वरनाथ जी के दरबार में आज तक कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटा बाबा सबकी मनोकामना पूरी करते हैं।यहां हर समय महामृत्युंजय पुजा संतान सुख के लिए पुजा काल सर्प दोष यज्ञ अनुष्ठान शादी ब्याह मुण्डन संस्कार कथा प्रवचन यज्ञ आदि धार्मिक कार्य हमेशा होता रहता है। महाशिवरात्रि पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु बिहार, उत्तर प्रदेश, नेपाल आदि जगहों से आते हैं।

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