संशोधित कानून की प्रतियां जलायी तथा न्यायिक कार्य से विरत रहते हुए महामहिम राज्यपाल को उप जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन भेजा
कृष्णा यादव,तमकुही राज /कुशीनगर। बार एसोसिएशन तमकुही राज कुशीनगर के अधिवक्ताओं ने भारत सरकार द्वारा लाए गए काला कानून के विरोध में शुक्रवार के दिन काली पट्टी बांधकर तहसील परिषद में प्रदर्शन करते हुए विरोध प्रगट किया तथा उप जिला अधिकारी तमकुही राज ऋषभ देवराज पुंडीर के माध्यम से पत्रक महामहिम राज्यपाल को भेज कर काले कानून को वापस लेने की मांग किया है।
बुधवार के दिन अधिवक्ता बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद सिंह पटेल के नेतृत्व में तहसील मुख्यालय की सड़कों पर प्रदर्शन करते हुए कानून के विरोध में नारेबाजी की तथा इस कानून को भारत सरकार से वापस लेने का मांग पत्र महामहिम राज्यपाल को भेजा।
इस अवसर पर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद सिंह पटेल ने कहा कि पूरे भारतवर्ष में अधिवक्ता समाज भारत सरकार के द्वारा लाए गए कानून धारा 35 (1) अधिवक्ता हित में नहीं है अधिवक्ता इस कानून का पूरे भारतवर्ष के अंदर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। बार काउंसिल उत्तर प्रदेश के आह्वान पर तमकुही राज तहसील में भी इस काले कानून के विरोध में विरोध प्रदर्शन जारी है।
अधिवक्ता समाज के साथ अगर सरकार अन्याय करती है तो अधिवक्ता समाज इसका पुरजोर विरोध करेगा साथ ही कहा कि अधिवक्ताओं के विरोध को सरकार नजर अंदाज नहीं सकती है क्योंकि पाकिस्तान के अंदर अधिवक्ताओं के विरोध के चलते ही पाकिस्तान की सरकार चली गई थी कानून के साथ सोच विचार कर ही सरकार को कोई निर्णायक कदम बढाना चाहिए भारतवर्ष के अंदर अधिवक्ता समाज इस कानून का विरोध कर रहा है।
भारत सरकार के कानून मंत्री को पुनः विचार करने की जरूरत है अगर यह कानून वापस नहीं लिया गया तो अधिवक्ता संघ आंदोलित होगा जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी। इस अवसर पर अध्यक्ष विनोद सिंह पटेल महामंत्री अजय राय पूर्व अध्यक्ष अशोक कुमार राय अमरनाथ सिंह घनश्याम कुशवाहा दीपक पांडे आर्यन पांडे पुष्कर ना श्रीवास्तव एच एन सिंह प्रदीप श्रीवास्तव जमील अहमद मतीउल्लाह अंसारी आदि समस्त अधिवक्ता गण उपस्थित रहे।
क्या है धारा 35
राजस्व संहिता की धारा 35
तहसीलदार को धारा 33 या 34 के तहत किसी रिपोर्ट या तथ्य के आधार पर उद्घोषणा जारी करने और जांच करने का अधिकार देती है इसके तहत तहसीलदार अधिकार अभिलेख (खतौनी ) में बदलाव कर सकता है। यदि मामला विवादित है तो तहसीलदार विवाद का निपटारा करेगा और जरूरी होने पर अधिकार अभिलेख (खतौनी) में बदलाव का आदेश देगा।
तहसीलदार के आदेश से असंतुष्ट कोई व्यक्ति आदेश के खिलाफ 30 दिनों के अंदर उप जिलाधिकारी के न्यायालय में आपत्ति प्रस्तुत कर सकता है। उत्तर प्रदेश राजस्व संगीता 2006 की धारा 35(1) के तहत तहसीलदार किसी रिपोर्ट या तथ्य की जानकारी मिलने पर खुद घोषणा जारी करता है इसके बाद यह जरूरी जांच करता है और जरूरी होने पर अधिकार अभिलेख में संशोधन का आदेश देता है।
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